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जागरूक जनता

yogendra yadav
yogendra yadav
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इस बात में कोई संदेह नहीं है की दैनिक जागरण समस्त समाचार पत्रों म सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते हुए सिखर पर प्रतिस्थापित हो चूका है! सुबह सुबह उठकर जब तक जागरण की सुर्खियो पर एक नजर न डाल लू सुबह अधूरी सी लगती है! विशेष रूप से जागरण का सम्पादकीय प्रष्ठ आकर्षण का केंद्र बिंदु रहता है! और तमाम विसेसग्यो की निस्पछ विचारो को पढ़कर देश और दुनिया की सामाजिक , आर्थिक और धार्मिक गतिविधिओ से सम्बन्ध स्थापित हो जाता है!

वैसे तो जागरण के सम्पादकीय प्रष्ठ पर विभिन्न विद्वान् जैसे ह्रदय नारायण दीक्षित , राजीव साचान , कुलदीप नय्येर , सामाजिक मामलो के विसेसग्य के. सब्रमंयम और संजय गुप्ता आदि के लेख विशेष रूप से प्रमुख होते है! और ये सभी विद्वान् समसामयिक घटनाओ पर अपनी निष्पछ राय रखते है! किन्तु एक और सज्जन पुरुष है जिनका नाम मै यहाँ पर लेना चाहूँगा और वो है, बी. सी. सी. आई . के उपाध्यछ और कांग्रेस के राज्य सभा संसद राजीव शुक्ला ! वो समसामयिक घटनाओ पर प्रायः अपनी राय रखते है! किन्तु उनके विचारो में निश्पछत्ता न होकर कांग्रेस सरकार और कांग्रेसी मंत्रियो की प्रशंशा ही अधिक होती है .

०६ नवम्बर के सम्पादकीय प्रष्ठ पर राजीव शुक्ला जी ने “जागरूकता की समस्या” नामक लेख लिखा ! लेख में उन्होंने कहा की जनमानस को भ्रस्टाचार के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए ! इससे न केवल देश विकाश करेगा अपितु सरकार के कार्य भी आसान हो जायेगे ! शुक्ला जी के विचार वास्तव में उत्क्रस्ठ है! किन्तु यह भी सत्य है की ये विचार वास्तविकता से उतने ही दूर है जितना नदी के दो किनारे!

शुक्ला जी आश्चर्य व्यक्त करते है की आखिर भ्रस्टाचार के विरुद्ध लोग आवाज क्यों नहीं उठाते ! हलाकि वे खुद लिखते है की “कुछ नागरिक दुसरे स्वाभाव के है जो विरोध करते है, शिकायती पत्र लिखते है और लम्बी लड़ाई लड़ते है .” मुझे समझ में नहीं आया की जब लेखक इस बात से पूर्ण रूप से परिचित है की भ्रस्टाचारियो के विरुद्ध लड़ाई लम्बी है और न्याय विलम्ब से मिलता है तो वे साधारण जनता से आवाज उठाने की बात कैसे कर सकते है ! क्या देश की साधारण जनता अपने कार्यो , अपने विकास को छोड़कर भ्रस्टाचारियो से सीधी दुश्मनी लेना प्रारंभ कर दे ! समस्या का समाधान यह नहीं है की जनता आवाज उठाये बल्कि यह है की सरकार न्याय व्यवस्ठा और कानून व्यवस्था को दृढ बनाये जिसमे कांग्रेस की सरकार पूर्ण रूप से असफल हुई है !
संसद पर हमला हुआ देश की जनता ने आवाज उठाई ! मुंबई दहली देश की जनता ने न सिर्फ आवाज उठाई बल्कि कुछ लोग तो रोड पर भी आये ! परिणाम क्या हुआ ? क्या सरकार ने `अफजल गुरु और कसाब को फासी दी? कसाब को फायरिंग करते हुए तो दुनिया ने देखा फिर उसे फासी देने में किस साबुत की दरकार है! क्या यह कांग्रेस सरकार की वोट बैंक की घटिया राजनीती नहीं है? क्या इससे कांग्रेस सरकार को डर नहीं लगता की उसे फांसी देकर वो मुस्लिम वोट बैंक खो देंगे ! इस सन्दर्भ में दो पंक्तिया याद आती है!
खड़ी अदालत में वह न्याय की नेत्रहीन मूर्ति रुआशी,
जाने कैसा अँधा युग हत्यारों को भी अब न मिलती है फांसी.
शुक्ला जी पुनः लिखते है की “हमारी सड़के, पुल , और सरकारी इमारते इस लिए ख़राब बनती है क्योकि ठेकेदार और इंजीनियरों की मिलीभगत होती है!”बात सोलह आने सच है किन्तु वो सायद ठेकेदार और इंजीनियरों के एक प्रबल सहयोगी का नाम लेना ही भूल गए या फिर सायद उन्होंने इसे उचित न समझा होगा! सच तो यह है की ठेकेदार और इंजीनियरों के साथ नेताओ की भी मिलीभगत होती है! कोई भी टेंडर बिना किसी नेता के सहायता के ठेकेदारों को प्राप्त ही नहीं हो सकता! ज्यादातर ठेकेदार नेताओ के रिश्तेदार ही होते है! और घटिया निर्माण करके जो पैसा बचाया जाता है उसमे तीनो ही अपनी अपनी तिजोरी भरते है ! और ऐसे नेताओ की विसेस्ता यह भी होती है की वो बाहुबली होते है! अब ऐसे बाहुबली नेताओ के विरुद्ध आवाज उठा कर किसे अपने प्राण मुस्किल में डालने है !
सच तो यह है की कांग्रेस सरकार की नाकामियों का टिकरा शुक्ला जी जनता पर फोड़ना चाहते है जो की सर्वथा अनुपयुक्त है . सत्ता पक्ष देश की समस्याओं से भाग नहीं सकता जनता ने उसे गद्दी इसलिए सौपी है की वो जनता की समस्याओं को सुलझाये न की जनता को उसका कर्त्तव्य याद दिलाये .
जागरण के सम्पादकीय प्रस्थ पर छपने वाले निष्पक्ष होते है किन्तु शुक्ला जी के अधिकांश लेख इसके अपवाद ही होते है ! वे अपने लेखो में अपनी पार्टी और अपने मंत्रियो का गुणगान करते हुए ही नजर आते है ! शायद उन्हें प्रचार करने का आसन तरीका मिल गया है !
मे जागरण के सभी ब्लोगर्स के विचार अपने लेख पर जानने का इच्छुक हु और अधिक से अधिक लोग अपने विचार देंगे ऐसी आशा करता हु ! साथ ही यह आकांक्षा रखता हु की मेरा लेख शुक्ला जी के नेत्रों के सामने से गुजरे और मुझे मेरे प्रश्नों का सही उत्तर भी प्राप्त हो !

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