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कालेज की यादें

yogendra yadav
yogendra yadav
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गुजर गए वो कालेज के दिन सुनहरे,
बिछड़ गए वो बचपन के दोस्त भी गहरे.
छुट गई सुबह की वो सरस्वती वंदना,
बंद हो गया अब तो यारो से झगड़ना.
पर पल पल हर पल वो यादें तडपाती है.
सरजी ये आँखें नम हो जाती है,
जब यादें आप सभी की आती है.

वो आप का इलेक्ट्रोनिक विन्यास पढ़ना,
जयसिंह सर का कविता, कहानी और उपन्यास राटाना.
पाण्डेय सर का हिंदी इंग्लिश ट्ररान्सलेसन,
संजय सर का जोरदार कैल्कुलेसन.
शर्मा सर का झन्नाटेदार थप्पड़ बड़ा रुलाती है,
सरजी ये आँखें नम हो जाती है,
जब यादें आप सभी की आती है.

आप का वो दर्दे दिल दर्दे जिगर वाला गाना,
दुबे सर का मौसी वाले डायलोग सुनना.
निखिल सर के भौतकी के निव्मेरिकल,
सुन्दरलाल सर के गए गाने क्लास्सिकल.
दोस्तों के साथ वो मस्ती बड़ा सताती है,
सरजी ये आँखें नम हो जाती है,
जब यादें आप सभी की आती है.
संघर्षशील तो हु पर देखता हु किस्मत क्या रंग लाएगी,
चलते-२ जाने क्या-२ यादे साथ में जुड़ जाएगी.
पर दिल से मेरे कल भी यही आवाज आयेगी,
और आज भी यही आवाज आती है.
सरजी ये आँखें नम हो जाती है,
जब यादें आप सभी की आती है.

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